पुष्कर में होगी मारवाड़ी घोड़ों की इंटरनेशनल ब्रांडिंग, यूरोप से आएंगे घुड़सवार
इंटरनेशनल पुष्कर मेले के जरिये प्रदेश की शान कहे जाने वाले मारवाड़ी घोड़े की भी इंटरनेशनल ब्रांडिंग करने की तैयारी है। इसके लिए पशुपालन विभाग ने पूरी योजना बनाई और कलेक्टर ने भी इस पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। सब कुछ ठीक रहा तो इस बार पुष्कर मेले में दुबई के 20 शेखों के अलावा स्विट्जरलैंड, हॉलैंड और इंग्लैंड के घुड़सवार मारवाड़ी घोड़े दौड़ाएंगे। इसका मकसद मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की पहुंच विदेशों तक बढ़ाना है। विदेशी व्यापारियों और घुड़सवारों के इस आयोजन के लिए मोतीसर के पास पुराने हैलीपैड के पास 500 बीघा जमीन पर मैदान तैयार होगा। पशुपालन विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. नवीन परिहार ने इसके लिए कलेक्टर के अलावा एडीए प्रशासन को भी पत्र भेज दिया है।
दुबई के शेखों से भी इस संबंध में बात की जा रही है। डॉ. नवीन परिहार का कहना है कि भारत में उन्नत नस्लों के घोड़ों की कमी नहीं है। मारवाड़ी, काठियावाड़ी घोड़ों के अलावा नार्थ ईस्ट के ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली बुटिया, स्पीति और मणिपुरी नस्ल के घोड़े भी अपनी अलग पहचान रखते हैं। लेकिन इनमें मारवाड़ी घोड़ा सबसे अलग है। यह हर परिस्थितियों में खुद को ढालने के लिए मशहूर है। ठंडे और पहाड़ी प्रदेशों में भी यह आसानी से खुद को ढाल लेता है। साथ ही सूखे इलाकों में भी इसका अंदाज बरकरार रहता है। अरब कंट्रीज में ऊंटों और घोड़ों का उपयोग शेख अपनी शानो शौकत के लिए करते हैं।
घोड़ा पालकों सहित सभी को होगा फायदा
मारवाड़ी घोड़ों का उपयोग भारत में अब ज्यादातर शौकियाना ही हो रहा है। यूरोपियन देशों में घुड़दौड़ के बड़े आयोजन होते हैं वहां भी घोड़े पालने वाले रईसों की कमी नहीं है। ऐसे में मारवाड़ी घोड़े की पहुंच इन देशों तक पहुंचाने के मकसद से यह योजना बनाई है। इसके जरिये दूसरी उन्नत नस्लों के घोड़ों को भी एक्सपोर्ट करने का रास्ता खुल सकेगा। इसका फायदा घोड़ा पालकों, राज्य सरकार और भारत सरकार सभी को होगा और पुष्कर मेले की अलग छाप भी विदेशों में पड़ेगी। इससे इस मेले में विदेशी व्यापारियों की आमद का उम्मीद भी बढ़ जाएगी। डॉ. परिहार ने बताया कि अभी दुबई के 20 शेखों से इस संबंध में बात चल रही है। इनमें से ज्यादातर ने अपनी सहमति दे दी है।
व्यापारियों व विदेशी मेहमानों को भी बुलावा
- दुबई, स्विट्जरलैंड, हॉलैंड और इंग्लैंड के घुड़सवार और व्यापारी को बुलाने की तैयारी।
- इसके लिए मोतीसर के पास पुराने हैलीपैड के पास 500 बीघा जमीन में मैदान बनेगा।
- अधिकारी बदले लेकिन उत्साह कम नहींः हाल ही में अजमेर कलेक्टर अंशदीप और एडीए कमिश्नर अक्षय गोदारा का तबादला हुआ है। डॉ. परिहार ने कलेक्टर अंशदीप और एडीए कमिश्नर गोदारा से इस योजना के लिए सहमति हासिल कर ली थी। डॉ. परिहार के मुताबिक नई कलेक्टर के सामने भी इस योजना को रखा गया है। जल्द ही इस योजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा। ताकि विदेशी मेहमानों के लिए इंतजाम करने में दिक्कत न हो। मैदान में कम से कम 50 घोड़े दौड़ाने की तैयारी है। आखिरी संख्या विदेशी मेहमानों के कंफर्मेशन के बाद तय होगी।
एक नजर राजस्थान के मारवाड़ी घोड़े पर
- मारवाड़ी नस्ल का नाम राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र पर पड़ा है।
- मारवाड़ में इनका प्राकृतिक आवास है।
- मारवाड़ क्षेत्र में उदयपुर, जालोर, जोधपुर और राजसमंद जिले और गुजरात के निकटवर्ती क्षेत्र शामिल हैं।
- मारवाड़ी घोड़ों को मुख्य रूप से सवारी और खेल के लिए पाला जाता है।
- प्रमुख रूप से इनका रंग भूरा है, अन्य शरीर का रंग सफेद पैच के साथ रोन, शाहबलूत, सफेद और काला होता है।
- मारवाड़ी घोड़ों का शरीर 130- 140 सेमी लंबा, 152-160 सेमी ऊंचाई, 166-175 सेमी दिल की परिधि, 60 सेमी चेहरे की लंबाई, 22 सेमी चेहरे की चौड़ाई, 18 सेमी कान की लंबाई और 47 सेमी पूंछ की लंबाई बिना स्विच के होती है।
- मारवाड़ी घोड़े की कीमत न्यूनतम 50 हजार और अधिकतम 5 करोड़ तक होती है।
निष्कर्ष
भारत भर से घोड़ा पालकों और घोड़ा फार्म मालिकों को मान्यता प्राप्त आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, जहा मारवाड़ी घोड़ों की गरिमामय जयंती को मनाया जाएगा। चाहे आपके पास मारवाड़ी घोड़ा हो या किसी अन्य ब्रीड का हो, यह एक उत्कृष्ट अवसर है आपके घोड़े की सुंदरता और प्रतिभा को प्रदर्शित करने का। आइए, इस महान समारोह का हिस्सा बनें और संगठन के प्रशंसकों और विशेषज्ञों के साथ अपने घोड़ों के प्रति अपने जुनून को सांझे।